La ilaha illa Anta Subhanaka Dua: मुसीबत में तुरंत असर करने वाली दुआ

La ilaha illa Anta Subhanaka Dua: हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में दुआ का बहुत बड़ा रोल होता है। दुआ सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि अल्लाह से दिल का रिश्ता है। जब दिल से मांगा जाए, तो अल्लाह जरूर सुनता है।

आज हम आपको एक ऐसी खास दुआ के बारे में बताएंगे, जिसे पढ़कर नबी युनुस अलैहि सलाम को मछली के पेट से बाहर निकाल दिया गया था।

La ilaha illa Anta Subhanaka Dua

हमने यहाँ पर इस दुआ को हिंदी जबान के अलावा भी इंग्लिश और अरबी वर्ड के साफ़ और आसान लफ़्ज़ों में लिखा है जिसे आप अपने पसंदीदा जबान में इसे सही सही और आसानी से पढ़ सकें।

हिंदी में:

ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिनज़-जालिमिन

अरबी में:

لَّا إِلَٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ ٱلظَّٰلِمِينَ

English Transliteration:

La ilaha illa Anta Subhanaka inni Kuntu Minaz-zalimin

तर्जुमा:

ऐ अल्लाह! तेरे सिवा कोई माबूद नहीं, तू पाक है, बेशक मैं ज़ालिमों में से हूँ।

📖 यह दुआ क्यों खास है?

  • यह सिर्फ दुआ नहीं, बल्कि कुरान की आयत भी है — जिसे आयत-ए-करीमा कहते हैं।
  • इसका ज़िक्र सुरह अंबिया, आयत 87 से मिलता है।
  • जब नबी युनुस अलैहि सलाम मछली के पेट में थे, उन्होंने यही दुआ पढ़ी थी।
  • अल्लाह को यह दुआ इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत उनकी मदद की।

ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका दुआ पढ़ने का तरीका

सबसे असरदार तरीका ये है कि इस दुआ को हर नमाज़ के बाद पढ़ा जाए:

  1. नमाज़ खत्म करते ही बिना किसी से बात किए सजदे में चले जाएं।
  2. सजदे में सबसे पहले एक बार दुरूद शरीफ पढ़ें।
  3. फिर 41 बार “La Ilaha Illa Anta Subhanaka Inni Kuntu Minaz-Zalimin” पढ़ें।
  4. उसके बाद जो भी चाहें, दिल से दुआ करें।
  5. आखिर में एक बार फिर दुरूद शरीफ पढ़ें।

यह अमल तब तक करें जब तक आपकी दुआ कबूल न हो जाए। इंशाल्लाह, असर जल्दी नजर आएगा।


💎 आयत-ए-करीमा पढ़ने के फायदे

इस दुआ को रोज पढ़ने से दिल को सुकून और मुसीबतों से राहत मिलती है। खास हालात में इसके अद्भुत फायदे माने जाते हैं:

  • अचानक आई परेशानी से छुटकारा
  • कारोबार में बरकत
  • बेहतर नौकरी के लिए
  • दुश्मन से हिफाज़त
  • जादू से बचाव
  • जायज़ मकसद में कामयाबी
  • औलाद की नेमत
  • तंगदस्ती से निजात
  • कर्ज से छुटकारा
  • सेहत और तंदुरुस्ती
  • गुनाहों की माफी

आखिरी शब्द

इस दुआ में सिर्फ अल्लाह की तारीफ ही नहीं, बल्कि अपनी गलतियों का इज़हार भी है। यही वजह है कि यह दिल से पढ़ी जाए, तो गुनाहों की माफी और परेशानियों का हल दोनों मिलते हैं।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई, तो इसे दूसरों तक भी पहुंचाएं। क्या पता, किसी की जिंदगी बदल जाए!

My name is Firdoush, and I am the Editor and Writer at Alseza. I am a Sunni Muslim from Ranchi, India, with experience in teaching and writing about Islam since 2019. My work focuses on creating and sharing authentic Islamic duas and content aimed at pleasing Allah ﷻ and seeking His blessings.