Dua Mangne Ka Tarika: दुआ ऐसे माँगें कि कबूलियत तय हो जाए!

हर मोमिन का दिल चाहता है कि उसकी दुआ कबूल हो जाए, उसके दिल की हर जायज़ तमन्ना पूरी हो जाए। लेकिन दुआ सिर्फ मांग लेना नहीं है एक सुन्नत तरीका है, एक अदब है, जिसे अगर अपनाया जाए तो इंशाअल्लाह दुआ बारगाह-ए-इलाही में जरूर कबूल होती है।

आज आप यहाँ जानेंगे Dua Mangne Ka Tarika, Dua Karne Ke Adaab, और Dua Ki Kabooliyat Ke Waqt आसान भाषा में, ताकि आपकी हर दुआ पहुंचे अरश-ए-मौला तक। ध्यान से पढ़ें और अपनी जिंदगी में उतारें…


Dua Mangne Ka Tarika

यहां नीचे दिए हुए पूरे Points को एक-एक करके अपनाएँ:

किब्ला यानि काबा शरीफ की तरफ रुख करके बैठें
अगर खड़े होकर दुआ कर रहे हों तब भी किब्ला की तरफ रुख रखें — यही सबसे अफ़ज़ल तरीक़ा है।

बैठने की सुन्नत हालत अपनाएँ
बायां पैर बिछा कर, दाहिना उंगली पर टिका — जैसे नमाज़ में अत्तहियात पढ़ते हैं। यह तशह्हुद की सुन्नत बैठने की हालत है।

दोनों हाथ कंधों या सीने के बराबर उठाएँ
लेकिन इतना ध्यान रखें कि चेहरे से ऊपर हाथ न जाए; यही अदब है।

हथेलियाँ आसमान की ओर खुली रखें
क्योंकि दुआ का किब्ला आसमान है और आसमान रहमतों का दरवाज़ा।

दुरूद शरीफ पढ़कर दुआ शुरू करें
पहले अल्लाह की तारीफ बयान करें, उसकी रहमत और कुदरत को याद करें, फिर हुज़ूर ﷺ पर दुरूद पढ़ें — इससे दुआ सीधे ऊपर जाती है।

दुआ की शुरुआत खुद से करें
“या अल्लाह! हमें नेक, ईमान वाला और तेरी रज़ा का हकदार बना।” — अपनी सेहत, इमान, इल्म, तंदुरुस्ती, रोज़ी, शिफा, आखिरत, हिफाज़त हर चीज के लिए दुआ करें।

अपने पेरेंट्स और घर-परिवार के लिए दुआ करें
उनकी सेहत, रहमत, बरकत और माफी की दुआ करें — ये बेहद अफ़ज़ल अमल है।

पूरी उम्मत और दुनिया की भलाई के लिए दुआ करें
“या रब्ब, हर मुसलमान को परेशानी से निजात अता फरमा…”

गुनाहों का इकरार करते हुए सच्चे दिल से रोएँ गिड़गिड़ाएँ
जैसे बच्चा अपनी माँ के सामने रोकर मनवा लेता है — अल्लाह बहुत रहम वाला है।

हर दुआ कम से कम तीन बार दोहराएँ
यह दुरुस्त और मुस्तहब तरीका है।

दुआ में पक्का यक़ीन रखें
दिल में कोई शक नहीं — “मेरा रब मेरी दुआ सुन रहा है।”

अंत में फिर दुरूद शरीफ पढ़ें
फिर यह दुआ जरूर पढ़ें:

रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनह, व फिल आखिरति हसनह, व किना अजाबन्नार

उसके बाद ला इलााहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह कहते हुए सहादत और अंगूठे की उंगली मिलाकर चूमें और चेहरे पर फेरें।

यही Dua Mangne Ka Sunnat Tariqa है


Dua Karne Ka Tarika

Dua Karne Ka Tarika
Dua Karne Ka Tarika
  • ✅ किब्ला रुख
  • ✅ सुन्नत बैठना
  • ✅ हथेलियाँ आसमान की तरफ
  • ✅ दुरूद पहले और आखिर में
  • ✅ खुद से शुरुआत + सबके लिए दुआ
  • ✅ कम से कम 3 बार
  • ✅ दिल से रोकर, विनती के साथ

यही तरीका दुआ की कबूलियत को बढ़ा देता है


Dua Kab Qabool Hoti Hai?

यह वे पल हैं जब दुआ पर रहमत बरसती है…

वक्त व मौकेक्यों अफ़ज़ल है?
फर्ज नमाज़ों के बादइबादत पूरी, दिल साफ़
तहज्जुद की नमाज़ के बादरब सबसे ज़्यादा करीब
रोज़ा इफ्तार के वक्तरोज़ेदार की दुआ जरूर सुनी जाती है
रमज़ान का महीनारहमतों की बारिश
शब ए क़द्र / बारात / मेराजमुकद्दस रातें
अज़ान व इकामत के बीचरहमत के दरवाज़े खुले
जुम्मा के दिन एक खास घड़ीदुआ का तीर सीधा लगता है
अरफा का पूरा दिनहज वालों की दुआ मोहतरम
बारिश के वक्तरहमत बरस रही होती
परेशानी के वक्तअल्लाह मआ’ल अस-साबिरीन

इन पलों को कभी खाली न छोड़ें


Kaun Si Dua Nahin Karni Chahiye?

कुछ दुआएँ खुद दुआ को रोक देती हैं — इसलिए इनसे बचें:

#1 हद से बढ़कर दुआ

नामुमकिन या घमंडी बातें —
जैसे: “मुझे कभी बीमारी न आए, हमेशा जवान रख”

#2 बेफायदा, खेल-तमाशा वाली दुआ

जैसे इतनी बारिश की दुआ कि तबाही हो जाए।

#3 गुनाह की दुआ

ज़िना, चोरी या हराम काम —
गुनाह की दुआ खुद गुनाह

#4 रिश्ते तुड़वाने की दुआ

“उन रिश्तेदारों में लड़ाई हो जाए” —
यह इस्लाम के खिलाफ है।

#5 खुद की मौत की दुआ

मायूसी में मरने की ख्वाहिश —
अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।

#6 मोमिन के लिए बुराई की दुआ

किसी की तबाही या काफ़िर हो जाने की दुआ —
बिल्कुल हराम।

#7 सिर्फ खुद के लिए दुआ

उम्मत, परिवार, गरीब, मरीज — सबको याद रखें
इस्लाम भाईचारे वाला मज़हब है।


अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिन भाइयों व बहनों… अब आप पूरी तरह समझ चुके हैं कि Dua Kaise Kare, कब करे, और किन बातों से बचे अल्लाह तआला हम सबकी दुआएँ इस सुन्नत तरीके के सदके कबूल फरमाए।

अपने रब से हमेशा उम्मीद और यक़ीन के साथ मांगते रहें — वो बहुत करीम है, रहमान है, और सुनने वाला है। अगर आपको अभी भी दुआ से जुड़ा कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट में जरूर पूछें मैं उसका जवाब देने के लिए हमेशा हाज़िर हूँ।

My name is Firdoush, and I am the Editor and Writer at Alseza. I am a Sunni Muslim from Ranchi, India, with experience in teaching and writing about Islam since 2019. My work focuses on creating and sharing authentic Islamic duas and content aimed at pleasing Allah ﷻ and seeking His blessings.

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