हम सब अपने जिंदगी में हर रोज ख़ुद को दुरूस्त व स्वस्थ रखने के लिए साथ ही ऊर्जा पाने के लिए खाना खाते हैं खाना हम सभी जीवों के लिए बेहद ही जरूरी है।
इसे न की सिर्फ जीवित रहते हैं बल्कि एक अच्छा और अच्छे तरीके से भोजन करके ख़ुद को हर तरह की स्वस्थ संबंधित दिक्कतों से महफूज भी रखते हैं।
इसके साथ साथ हमारे मजहब इस्लाम में खाना खाने से पहले दुआ पढ़ने के लिए भी बताई गई है जिसकी फायदे कौन बयां कर सकता है इसीलिए आप यहां पर इसी दुआ को जानेंगे।
Khana Khane Ki Dua In Hindi
“बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम. बिस्मिल्लाहि व अला बर क तिल्लाह”
Khana Khane Ki Dua In English
“Bismillah Hirrahmaan Nirraheem. Bismillahi Wa Alaa Bar-K Tillah”
Khana Khane Ki Dua In Arabic
“بِسْمِاللّٰهِ الرَّحمٰنِ الرَّحِيْم بِسْمِ اللّٰهِ وَعلٰى بَرَکَتِه اللّٰهِ”
Khana Khane Ki Dua Ka Tarjuma
अल्लाह के नाम से शूरू जो बहुत ही मेहरबान रहमत वाला मैंने अल्लाह के नाम से और अल्लाह कि बरकत पर खाना शुरू किया।
Khana Khane Ki Dua Ka Tarjuma In English Text
Allah Ke Naam Se Shuru Jo Bahut Hee Meharbaan Rahmat Wala. Maine Allah Ke Naam Se Aur Allah Ki Barkat Par Khana Shuru Kiya.
खाना खाने से पहले की नियत
आप और हम सभी को खाना खाने से पहले भी यह नियत करना चाहिए कि मैं इसीलिए खाता हूं ताकि इबादत के लिए कुव्वत यानी ताकत पैदा हो इस नियत से खाना भी की किस्म की ताअत है।
हमारा मकसद ना ही लज़्जत पाना और ना ही नेमत हासिल करना हो क्योंकि यह बुरी बात है हमेशा ख़ुद के मन में यही नियत होना चाहिए कि इबादत की कुव्वत पैदा हो।
खाना खाने की सुन्नत
हम सब को खाना खाने से कब्ल अपने दोनों हाथों को गट्टों तक धोना चाहिए साथ ही कुली भी कर लें अगर हो सके तो बा वजू हो जाएं ये भी बेहतर है।
फिर खाने खाने की नियत से हांथ धोएं हैं तो अपने हाथों को न पोंछे अगर ज्यादा पानी फ़ैला हो तो एक दुसरे हांथ की मदद से ही ख़त्म कर लें।
खाना खाने की आदाब
बेहतर होगा कि खाना खाने के लिए फर्श पर या चटाई पर बैठे तो ज्यादा मुनासिब है, आजकल के मुआशरे से अपना ईमान बचाए यह बहुत ही खराब है।
खाना खाते वक्त उल्टा पांव बिछा दें और सीधा घुटना खड़ा कर लें और बिछे हुए उल्टे पांव पर बैठ जाएं इसका बाद खाना शुरू करें।
आप कभी भी पांव को फ़ैला कर या फिर सोए सोए खाना न खाएं यह तरीका सारासर गलत है यह खाना खाने के आदाब के उल्टा यानी खिलाफ़ है।
ना ही कभी भी नंगे सर खाना न खाएं हमेशा खाना खाते वक्त अपने सरे मुबारक को हमेशा ढक के खाएं खवातीनो के साथ मर्दों के लिए भी है।
हमेशा खाना खाने के लिए तीन उंगली का सहारा लें पांच उंगलियों से खाना गंवारों का तरीका बताया गया है और छोटे छोटे लुक्मे खाएं रोटी को एक एक टुकड़े तोड़ कर खाएं।
भोजन के हर एक लुक्मे को अच्छी तरह से चबा चबा कर खाएं अगर साथ में खा रहे हैं तो खाते वक्त हल्की सी गुफ्तगू भी जारी रखें लेकीन फिजुल की बात न करें।
खाना खाने के मकरूहात
बाएं हांथ को जमीन वगैरह पर इस तरह से लगा के खाना की पुरा शरीर का वजन वही ले रहा हो यानी बाएं हांथ को टेका नही लगाना है यह मकरूह है।
इन दिनों मुआशरे में कुर्सी वगैरह पर पैर लटका कर खाने की तरीक़ा उरूज़ पर है याद रखें कुर्सी वगैरा पर पैर को लटका कर के खाना मकरूह है।
कभी भी अपने मूंह से खाने को फूंक कर के न खाएं ऐसा नौबत आए तो गरम खाना को प्लेट में अपने थोड़ा देर ठंडा होने दें यह मकरूह है।
अपने को तो नहीं लेकीन शादी वगैरह में लोग खाने को बुरा कहते हैं याद रखिए यह सब हरगिज़ सही नहीं खाने को बुरा कहना मकरूह है।
भूख लगने पर ही खाना खाएं ऐसा नहीं की किसी की खर्च बढ़ाने या अच्छा लगने पर जबरदस्ती खाएं यह भी भूख से पहले खाना मकरूह है।
खाना खाने से जुड़ी ज़रूरी बात
- बिना हांथ धोए आपके खाना बीमारी को दावत देता है।
- बगैर बिस्मिलाह पढ़े खाना बरकत से महरूम करता है।
- फल फ्रूट बगैर धोए खाने से बीमारी को बढ़ावा देता है।
- खड़े हो कर खाने से सेहत में नुकसान व बीमारी भी बढ़ता है।
- खाने के बाद अल्हमदुलिल्लाह न कहने से बरकत खत्म होती है।
खाना खाने से जुड़ी कुछ हराम चीज़ें
हराम जानवर जैसे कौवा चील दरिंदे वगैरा का गोश्त खाना हराम है।
सोने और चांदी के बर्तन में मर्द और औरत दोनों को खाना खाना हराम है।
मछली के अलावा दरिया तालाब समुंद्र के तमाम जानवर को खाना हराम है।
खाना खाने की दुआ से जुड़ी हदीस
एक हदीस के मुताबिक हज़रत अनस रजियल्लाहु अन्हुं फरमाते हैं मैंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बैठ कर खजुर खाते देखा है।
दूसरी हदीस में हज़रत आयशा रजियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई खाना खाए तो बिस्मिल्लाहपढ़े अगर शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना भुल जाएं तो बिस्मिल्लाहि व अव्वलहु व आखिरहु पढ़े।
एक हदीस में हजरत अनस रजियल्लाहु अन्हुं से रिवायत है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तमाम उम्र न तो मेज पर रख कर खाया और न ही मैदा की रोटी खाई हुज़ूर ने सादगी पसंद फरमाई और फकर यानी ग़रीबी इख्तियार किया।
इसी तरह दूसरी हदीस में हज़रत सलमान रजियल्लाहु अन्हुं ने फ़रमाया कि मैंने तौरेत में पढ़ा कि खाने बरकत का जरिया उसके बाद हांथ धोना है, मैंने नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इसका जिक्र किया तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि – खाने की बरकत का जरिया उससे पहले और उसके बाद हाथों को धोने में है।
FAQs
खड़े हो कर खाना कैसा?
प्यारे नाबिये करीम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने खड़े होकर खाने से मना फ़रमाया है।
जुता पहन कर खाना कैसा?
जुता पहन कर नहीं खाना चाहिए हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम ने मना फ़रमाया है।
अगर खाने से पहले दुआ भुल जाएं तो क्या करें?
अगर आप दुआ भुल जाएं तो जब भी याद आए बिस्मिल्लाहि व अव्वलहु व आखिरहु पढ़ लें।
आख़िरी लफ्ज़
हमने यहां पर खाना खाने की दुआ और इसे जुड़ी सुन्नत तरीका साथ ही खाना खाने की दुआ से जुड़ी हदीस भी बताई थी जिसे आपका इल्म और मजबूत हो जाए।
हमने इस आर्टिकल यानि पोस्ट में तमाम बातें बहुत ही साफ और सरल शब्दों में लिख कर बताया ताकि आप आसानी से समझ सकें और अमल में ला सकें।
अगर इसे पढ़ने के बाद आपको कुछ समझ न आया हो तो आप हमसे टिप्पणी करके पूछ सकते हैं और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।
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