Masjid Me Jane Ki Dua:आज हम यहां पर एक ऐसी दुआ जानेंगे जो हम सभी के लिए हर तरह से काफ़ी फायदेमंद है जी हां मस्जिद जाने की दुआ हम सब को मालुम होना चाहिए।
जिसे हम मस्जिद में जाने पर पढ़ कर इसकी रहमत व बरकत हासिल करके और इबादत करके खूब नामाए अमाल में नेकियां जोड़ सकें ताकि बरोज ए हश्र सुकून पा सकें।
ये सिर्फ आख़िरत के लिए ही नहीं बल्कि जीते जी भी कई तरह से हम सब के लिए फायदेमंद है इसीलिए आप यहां पर कोशिश करेंगे कि इसे पढ़ कर याद भी रख लें।
Masjid Me Jane Ki Dua
हमने उपर में बताया कि आप इसे जेहन में भी बसा लें ताकि मस्जिद जाते वक्त आसानी से पढ़ सकें यक़ीनन आप एक ही मरतबा पढ़ कर याद भी कर लेंगे।

Masjid Me Jane Ki Dua In Hindi
अल्लाहुम्मफ तहली अबवाब रह् मति क
Masjid Me Jane Ki Dua In Arabic
اَللّٰهُمَّ افْتَحْ لِىْ اَبْوَابِ رَحْمَتِكَ
Masjid Me Jane Ki Dua In English
Allahumma Fa Tahli Abwaab Rah Mateeka.
Masjid Me Jane Ki Dua Ka Tarjuma
ऐ अल्लाह ! तू अपनी रहमत के दरवाज़े मेरे लिए खोल दे।
Masjid Me Jane Ki Sunnat Tarika
मस्जिद में इंटर करते हुए दुआ पढ़ें और दायां पांव मस्जिद में अन्दर की जानिब रखें महबूबे खुदा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का यही तरीक़ा था।
हमेशा यही कोशिश करें कि जिस डोर से मस्जिद में इंटर किए थे उसी से निकले भी ऐसा न करें कि एक से दाखिल हुए तो दूसरे से खारिज हों।
कभी भी मस्जिद में अंदर की जानिब पांव में जूते वगैरा पहने हुए इंटर करें बल्कि मस्जिद के बाहर ही सुरक्षित स्थान पर जूते चप्पल निकाल कर रख दें।
मस्जिद में इंटर करने के बाद सबसे पहले वहां मौजूद लोगों को सलाम करें अगर सब बिजी हो तो आप इस तरह से सलाम करें अस्सलामु अलैना मिन रब्बिना व अला इबादिल्लाहिस्सालेहिन।
मस्जिद में दाखिल होने पर हो सके तो जब भी आप दाखिल हो तो सबसे पहले 2 रकात दाख़िल ए मस्जिद नमाज़ पढ़ें।
अगर वक्त मकरूह न हो क्योंकि मकरूह वक्त में किसी भी तरह का कोई नमाज़ नहीं पढ़ा जाता है।
मस्जिद में दाखिल होने पर आदाब
- मस्जिद में कभी भी नमाज़ी के आगे से नहीं गुजरना चाहिए।
- क्योंकि इससे उनकी नमाज़ खत्म हो जाएगी और गुनाहगार आप होंगे।
- मस्जिद में बैठने के बाद दुनियां को भूल कर खुदा की इबादत करें।
- मस्जिद में दुनियां की बात ना करें दुन्यावी बाते करना आप की नेकियों को खाता है।
- मस्जिद में इत्मीनान से एक जगह पर बैठें ज्यादा इधर उधर ना हों।
- ऐसा नहीं की हर बार मस्जिद जाने पर एक ही जगह बैठें यह मकरूह है।
आख़िरी लफ्ज़
अब तो आप भी खूब नामाए अमाल नेकियां करेंगे क्योंकि इस दुआ को आप जितनी दफा मस्जिद जाने पर पढ़ेंगे उतने ही नेकी शामिल होती जाएगी इसी लिए ज्यादा से ज्यादा पढ़ें।
हमने यहां पर मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत तरीका और आदाब भी लिख कर बताया था जिसे आप सही से मस्जिद में इंटर करना सिख जाएं और मस्जिद का आदाब भी मालुम हो जाए।