Roza Kholne Ki Dua । रोज़ा खोलने की सही दुआ जानें

Roza Kholne Ki Dua: रोज़ा रखने की फजीलत बहुत है साथ ही हम सभी पर रोजा फर्ज भी है इसीलिए हम सभी को रोज़ा रखना चाहिए ताकि इसकी फ़ज़ीलत पाने के साथ साथ अपना फ़र्ज़ भी अदा हो जाए।

और फर्ज अदा करने के बाद इसे खोलने का भी तरीका होता है और दुआ भी होता है हमने यहां पर इसी दुआ को आप सब लोग को पढ़ने के लिए लिखा है।

दुआ को पढ़ने से आपकी फास्टिंग कबूल होगी साथ ही आपका दुआ भी कुबूलियत की जानिब चल पड़ेगा इसीलिए इस दुआ को ध्यान से पढ़ें।

Roza Kholne Ki Dua

यहां पर आप आराम से रोज़ा खोलने की दुआ इत्मीनान के साथ पढ़ें और हो सके तो याद कर लें ताकि रोज़ा खोलते वक्त आसानी से पढ़ सकें।

एक ये बात भी याद रखें कि यहां पर लिखी हुई दुआ को रोज़ा खोलने के बाद पढ़ना है इसका वजह नीचे लिखा हुआ आप वो भी पढ़ें।

Roza Kholne Ki Dua In Hindi

अल्लाहुम्म इन्नि ल क सुम्तू व बि क आमन्तु व अलैक तवक्कल्तु व अला रिज्कि क अफ तरतू

Roza Kholne Ki Dua In Hindi
Roza Kholne Ki Dua In Hindi

Roza Kholne Ki Dua In Arabic

اَللّٰهُمَّ اِنِّي لَکَ صُمْتُ وَ بِکَ اٰمَنْتُ وَ عَلَيْکَ تَوَ کّلْتُ وَ عَلٰى رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ

Roza Kholne Ki Dua In English

Allahumma inni La Ka Sumtoo Wa Bi Ka Aamantoo Wa Alaika Tawakkaltoo Wa Ala Rizkee Ka Aftartoo.

Roza Kholne Ki Dua In English
Roza Kholne Ki Dua In English

Roza Kholne Ki Dua Ka Tarjuma

ऐ अल्लाह मैंने तेरी खातिर रोजा रखा और तेरे उपर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे रिज्क से इसे खोल रहा हूं।

रोजा खोलने का सही तरीका

पहले वजू कर के इफ्तार रोजा खोलने के लिए बैठें आपको भी मालुम होगा कि मगरिब में नमाज के लिए बहुत ही कम वक्त होता है।

रोजा खोलने का वक्त हो जाए तो 5 से 10 मिनट पहले ही सब फैमिली एक जगह बैठ जाएं लेकिन मर्द व औरत अलग अलग बैठें।

बैठ कर इत्मीनान के साथ दुआ पढ़ें और दुआ ख़ुद से भी पढ़ें और अज़ान हो जाने पर रोजा खोले और मुकम्मल होने के बाद खाना चाहिए।

एक कौल के मुताबिक हज़रत सुलेमान बिन आमिर रजियल्लाहु तआला अन्हुं बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ।

तुम में से जब कोई रोज़ा खोले तो उसे चाहिए कि खजुर से खोले क्योंकि इस में बरकत है अगर खजूर न हो तो पानी से खोले क्योंकि पानी पाक होता है।

रोजा खोलने की दुआ से जुड़ी कुछ ख़ास हदीस

एक हदिस पाक में है कि हज़रत मुल्ला अला कारी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं कि इब्ने मलिक ने कहा कि आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इसी दुआ को इफ्तार के बाद पढ़ते।

एक हदीस में है कि अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है मेरे बन्दों में मुझे सबसे ज्यादा प्यारा वो है जो इफ्तार में जल्दी करते हैं।

इसीलिए हुज़ूर सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का तरीका था कि सूरज डुबने से पहले सहाबी को कहते कि वह ऊंचाई पर जा कर सूरज देखता रहे।

आख़िरी लफ्ज़

शक नहीं पूरा उम्मीद है कि यह छोटा सा दुआ आपको जरूर अच्छा लगा होगा और पढ़ कर बहुत इल्म हासिल किए होंगे इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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