Safar Ki Dua: सफर की दुआ हिंदी, इंग्लिश और अरबी में तर्जुमा के साथ पढ़ें

Safar Ki Dua: हम सब हर रोज़ कहीं न कहीं जाने के लिए सफर करते हैं और चाहते हैं कि हमारा सफर सुरक्षित रहे जिसे हम अपनी मंजिल यानी जहां पर जाना हो वहां सही सलामत पहुंच सकें।

इसके लिए हम काफी सावधानी के साथ सफर करते हैं लेकिन क्या बताएं सब कुछ हमारे बस में नहीं है न सब तो उसके हाथ में है जो इस वर्ल्ड को ऑपरेट कर रहा है।

आज यहां पर आप उसी की नाजिल की हुई सफर की दुआ पढ़ेंगे और आपकी हिफाजत फरिश्ते करेंगे अगर आप इस दुआ को सफर के वक्त पढ़ते हैं तो।

Safar Ki Dua

यहां पर एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन तीन भाषाओं में सफर की दुआ लिख कर बताया गया है जिसे सब आशिक़ ए रसूल अपने अपने पसंदिदा भाषा में आसानी के साथ पढ़ सकें।

Safar Ki Dua In Hindi

Safar Ki Dua In Hindi
Safar Ki Dua In Hindi

सुब्हानल्लजी सख़्खरालना हाज़ा वमाकुन्ना लहु मुकरिनीन व इन्ना इला रब्बिना लमुन कलिबून।

Safar Ki Dua In English

Safar Ki Dua In English
Safar Ki Dua In English

Subhanallazi Sakhraalana Haza Wamakunna Lahu Mukrineen Wa Inna illa Rabbina Lamun Kaliboon.

Safar Ki Dua In Arabic

سبحْنَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ ، وَ إِنَّا إِلَى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُونَ

Surah Az-Zukhruf 13-14

Safar Ki Dua Ka Tarjuma

पाक व बुलन्द है वह खुदा जिसने इसको हमारे बस में कर दिया हालांकि हम इसको काबू में करने वाले न थे यकिनन हम अपने परवरदिगार की तरफ लौट जानें वाले हैं।

Safar Ki Manzil Ki Dua

अउजु बि कलिमातिल् लाहित ताम्माति मिन शर्रि मा ख ल क

In English

A-Uju Bee Kalimatil Lahit Tammati Min Shari Maa Kha La Ka.

Tarjuma

मैं अल्लाह तआला के मुकम्मल कल्मों के साथ हर मखलूक की शरारत से पनाह चाहता हूं।

हज़रत ख़ौला बिन्त हकीम फरमाती हैं कि मैंने नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना कि जो शख्स किसी मन्जिल पर उतरे और ये दुआ पढ़े तो वह उस मंज़िल से कूच करने तक हर चीज़ के नुकसान से महफूज़ रहेगा।

Safar Se Wapasi Ki Dua

ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरी क लहु लहुल मुल्कू व लहुल हम्दु व हुव अला कुल्ली शइन कदिर आइबु न ताइबू न आबिदू न साजिदू न लि रब्बिना हामिदुन।

सफर से वापसी की दुआ तर्जुमा

अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं वह एक है उसका कोई शरीक नहीं उसकी बादशाही है और वही लाइके तारीफ और वह हर चीज़ पर कादिर है हम लौटने वाले हैं तौबा करने वाले इबादत करने वाले सजदा करने वाले और अपने रब की तारीफ करने वाले हैं।

सफर की सुन्नत और अदब

अपनी जरूरत के मुताबिक सफर जब करना हो तब करें अगर प्लान बना रहे हैं तो जुमेरात के दिन का प्लान बनाएं।

हमेशा सफर में अव्वल वक्त में निकलने की कोशिश करें वैसे फजर अदा करके निकलना सही रहेगा।

कोशिश करें कि सफर तनहा न हो इसे आपकी परेशानी बढ़ेगी और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अकेले सफर करने से बचने की ताकीद फरमाई है।

और सफर ज्यादा लोग कर रहे हैं तो उसमें से किसी एक बड़े और समझदार को रहबर बनाए जिसे कोई भी अपनी मनमानी से इधर उधर न जा सके।

किसी भी औरत को अकेले सफर नहीं करना चाहिए औरत को हमेशा किसी महरम के साथ सफर करना चाहिए चाहे सफर शहर के अन्दर हो या आधी ही दिन का हो।

सफर के लिए तैयार हो कर और जिस कपड़ा को पहन कर जाना हो उसे पहन कर अगर वक्त हो तो घर में 4 रकात नफल पढ़ कर निकलें।

आख़िरी लफ्ज़

तो भाइयों और बहनों कैसा लगा आज का ये छोटा सा पैग़ाम जिसमें हमने सफ़र की दुआ के साथ साथ और भी कई अच्छी अच्छी बातें बताई थी जो आपके लिए फायदा हो हमारे साथ अपना ऑपिनियन कॉमेंट के माध्यम से जरूर बताइएगा।

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