Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua: नमाज़ में 2 सजदों के बीच पढ़ी जाने वाली दुआ

नमाज़ सिर्फ एक इबादत नहीं बल्कि हमारे और अल्लाह तआला के बीच का सीधा रिश्ता है हर रुक्न, हर रकत और हर लफ़्ज़ में बरकत छुपी होती है इन्हीं खास लम्हों में से एक है दो सजदों के बीच का पल।

इस वक़्त पर एक बेहद ख़ूबसूरत दुआ पढ़ी जाती है जिसे Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua कहते हैं। ये दुआ सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि रहमत, हिदायत और दुनिया-आख़िरत की भलाई की चाबी है।

अगर आपने इसे अभी तक याद नहीं किया, तो आज ही कर लीजिए। क्योंकि हो सकता है, कल का मौका आपको न मिले… और अमल में ला कर ज़िन्दगी और आखिरत को बेहतर बनाएं।

📜 इस दुआ को पढ़ने का सही वक्त

जब आप नमाज़ में पहला सज्दा करते हैं और फिर सर उठाकर बैठते हैं, तो अगले सज्दे से पहले का वो छोटा सा वक़्त यही वो खास लम्हा है जहां इस दुआ को पढ़ी जाती है।

ये पल बहुत कीमती है, क्योंकि इस वक़्त हम अल्लाह से सीधे दुआ मांगते हैं और वह सुनता है।

📖 Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua In Hindi

अल्लाहुम्-मगफिर ली वर हमनी वहदीनी वजबुरनी व अफिनी वरजुकनी वरफानी

📖 Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua In Roman English

Allāhumma’ghfir lī, war’ḥamnī, wahdinī, wajburnī, wa āfinī, warzuqnī, warfanī.

📖 Do Sajdon Ke Darmiyan Ki Dua In Arabic

اللّهُـمَّ اغْفِـرْ لي وَارْحَمْـني وَاهْدِنـي وَاجْبُرْنـي وَعافِنـي وَارْزُقْنـي وَارْفَعْـني

(Hisn al-Muslim 49)

💬 दुआ का मतलब (तर्जुमा)

ऐ अल्लाह!
मुझे माफ़ कर,
मुझ पर रहम कर,
मुझे हिदायत दे,
मेरी मदद कर,
मेरी हिफाज़त कर,
मुझे हलाल और पाक रिज़्क अता कर,
और मेरा दर्जा बुलंद कर।

✨ इस दुआ की फ़ज़ीलत – क्यों है ये इतनी खास?

  1. गुनाहों की माफी – इस दुआ को पढ़ने वाला अल्लाह तआला की मग़फ़िरत पाता है।
  2. रहमत का नाज़िल होना – अल्लाह अपने बंदे को रहमत देता है और उसके हालात आसान कर देता है।
  3. बरकत में इज़ाफ़ा – पढ़ने वाले के रिज़्क में बरकत होती है और दिल को सुकून मिलता है।
  4. हिदायत और मदद – इंसान को सही रास्ते पर चलने की ताक़त मिलती है और मुश्किल वक्त में मदद नसीब होती है।
  5. दर्जे की बुलंदी – अल्लाह तआला उस इंसान के दर्जे को बुलंद करता है जो इसे दिल से पढ़ता है।

🕌 कैसे याद करें और अमल में लाएँ?

  • हर नमाज़ में इसे पढ़ने की आदत डालें।
  • सबसे पहले इस दुआ को अरबी में सही उच्चारण के साथ पढ़ना सीखें।
  • फिर हिंदी या इंग्लिश मतलब को समझ लें ताकि दिल से महसूस कर सकें।
  • कोशिश करें कि इसे सिर्फ ज़ुबान से नहीं, बल्कि पूरे दिल से अल्लाह से मांगें।

🌟 आख़िरी बातें

अब आप इस दुआ को तीनों ज़बानों में पढ़ और समझ चुके हैं, तो इसे अपनी नमाज़ का हिस्सा बना लीजिए। याद रखें, ये छोटे-छोटे पल हमारी पूरी ज़िंदगी बदल सकते हैं।

अल्लाह तआला हमें और आपको इस दुआ पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे, हमारी दुआओं को कबूल फरमाए और हमें रहमत, बरकत और हिदायत से नवाज़े। आमीन सुम्मा आमीन।

My name is Firdoush, and I am the Editor and Writer at Alseza. I am a Sunni Muslim from Ranchi, India, with experience in teaching and writing about Islam since 2019. My work focuses on creating and sharing authentic Islamic duas and content aimed at pleasing Allah ﷻ and seeking His blessings.