क्या आप जानते हैं कि मस्जिद से निकलते वक्त की एक छोटी सी दुआ आपकी ज़िंदगी में बरकत और रहमत दोनों ला सकती है?
हम सब नमाज़, कुरआन की तिलावत या ज़िक्र के लिए मस्जिद जाते हैं, लेकिन जब इबादत पूरी हो जाती है, तो मस्जिद से निकलते वक्त Masjid Se Nikalne Ki Dua पढ़ना सुन्नत और बेहद फ़ज़ीलत वाला अमल है।
यह दुआ हमें अल्लाह तआला की रहमत, फ़ज़्ल और बरकत से मालामाल करती है। तो आइए जानें मस्जिद से निकलने की दुआ हिंदी, अरबी और इंग्लिश में, साथ ही उसके सुन्नती तरीके भी।
Masjid Se Nikalne Ki Dua
मस्जिद से बाहर निकलते वक्त इस दुआ को पढ़ना न भूलें। नीचे हमने इसे तीनों ज़बानों में लिखा है ताकि आप इसे आसानी से याद कर सकें और हर बार मस्जिद से निकलते वक्त पढ़ सकें।

Masjid Se Nikalne Ki Dua In Arabic
اَللّٰهُمَّ اِنِّىْ اَسْعٔلُكَ مِنَْ فَضْلِكَ وَرَحْمَتِكَ
Masjid Se Nikalne Ki Dua In Hindi
अल्लाहुम्म इन्नी असअलुका मिन फज़्लिका व रहमतिका
Masjid Se Nikalne Ki Dua In English
Allahumma inni As’aluka min Fadhlika wa Rahmatika
Masjid Se Nikalne Ki Dua Ka Tarjuma
“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरे फ़ज़्ल और रहमत का सवाल करता हूँ।”
मस्जिद से निकलने की सुन्नती आदाब
रसूलुल्लाह ﷺ ने मस्जिद से निकलने के लिए कुछ सुन्नती तरीके बताए हैं। अगर हम इन्हें अपनाएँ, तो हर कदम पर सवाब और रहमत हासिल होती है।
यहाँ मस्जिद से निकलने के सही तरीके बताए गए हैं:
- सबसे पहले बायाँ पांव बाहर निकालें।
- अगर चप्पल पहननी हो, तो पहले दायाँ पांव में पहनें, फिर बायाँ बाहर निकालें।
- यह नबी ﷺ की सुन्नत है।
- मस्जिद से निकलने से पहले कम से कम तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ें।
- कोशिश करें कि उसी दरवाज़े से बाहर निकलें, जिससे दाखिल हुए थे।
- अगर आप आख़िरी व्यक्ति हैं जो मस्जिद से निकल रहा है, तो दरवाज़ा बंद न करें जब तक ज़रूरत न हो।
- अगर सुरक्षा की वजह से ज़रूरी लगे तभी दरवाज़ा बंद करें।
- मस्जिद से निकलते वक्त गुनाहों की माफ़ी माँगें और रहमत की तलब करें।
- याद रखें – मग़फ़िरत की दुआ रहमत और फ़ज़्ल दोनों से बढ़कर है।
Masjid Se Nikalne Ki Dua Padhne Ke Fayde
Masjid Se Nikalne Ki Dua पढ़ने के कई रूहानी और दुनियावी फ़ायदे हैं —
- अल्लाह तआला अपनी रहमत से नवाज़ता है।
- गुनाहों की माफ़ी हासिल होती है।
- हर काम में बरकत और आसानी आती है।
- यह सुन्नत अमल है, जिससे सवाब में इज़ाफ़ा होता है।
- यह दुआ हमें हमेशा अल्लाह की याद में रखती है।
मस्जिद से निकलने की दुआ कब पढ़ें?
जब आप मस्जिद में अपनी नमाज़ या इबादत पूरी कर लें, और बाहर निकलने लगें तब बायाँ पांव बाहर निकालते हुए यह दुआ पढ़ें:
“अल्लाहुम्म इन्नी असअलुका मिन फज़्लिका व रहमतिका।”
FAQs
मस्जिद से निकलते वक्त कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए?
अल्लाहुम्म इन्नी असअलुका मिन फज़्लिका व रहमतिका।
क्या मस्जिद से निकलते वक्त बायाँ पांव पहले निकालना चाहिए?
जी हाँ, सुन्नत यही है कि बायाँ पांव पहले निकाला जाए।
क्या दुरूद शरीफ पढ़ना ज़रूरी है?
हाँ, मस्जिद से निकलने से पहले कम से कम तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ना सुन्नत अमल है।
क्या मस्जिद का दरवाज़ा बंद कर सकते हैं?
अगर अंदर कोई मौजूद नहीं है और सुरक्षा की ज़रूरत हो, तब दरवाज़ा बंद किया जा सकता है, वरना खुला छोड़ना अफ़ज़ल है।
अंतिम बात
अब आप जान गए की Masjid Se Nikalne Ki Dua छोटी लेकिन कितनी बरकत वाली दुआ है। हर बार जब आप मस्जिद से निकलें, यह दुआ पढ़ें ताकि अल्लाह की रहमत, फ़ज़्ल और मग़फ़िरत आप पर हमेशा बरक़रार रहे।
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