Musibat Ke Waqt Ki Dua: मुसीबतें और परेशानियाँ इंसानी जिंदगी का हिस्सा हैं। कभी आर्थिक तंगी, कभी सेहत की दिक्कत, तो कभी रिश्तों की उलझनें हर किसी के जीवन में ऐसे कठिन पल आते हैं।
लेकिन ऐसे वक़्त में अल्लाह को याद करना और मुसीबत के वक्त की दुआ पढ़ना दिल को सुकून देता है। अगर आप इस दुआ को यकीन के साथ पढ़ेंगे तो इंशाअल्लाह, बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान लगने लगेगी।
इसलिए इसे ध्यान से पढ़ें और याद कर लें, ताकि जरूरत पड़ने पर बार-बार ढूंढना न पड़े। इस दुआ को हमने यहाँ पर हिंदी, अरबी और इंग्लिश तीनों भाषाओं में लिख कर बताया है ताकि आप आसानी से सिख सकें।
🙏 Musibat Ke Waqt Ki Dua in Hindi
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन अल्लाहुम्मा जुरनि फी मुसिबती व खलुफ ली खैरिन मिन्हा

🌐 Musibat Ke Waqt Ki Dua in English
Inna Lillahi Wa Inna Ilaihi Razioon Allahumma Jurni Fii Musibati Wa Khaluf Li Khaireen Minha
📖 Musibat Ke Waqt Ki Dua in Arabic
اِنَّالِلّٰہِ وَاِنَّااِلَیْہِ رَاجِعُوْنَ، اَللّٰھُمَّ أْجُرْنِیْ فِیْ مُصِیْبَتِیْ وَاَخْلُفْ لِیْ خَیْرًامِّنْھَا
💡 दुआ का तर्जुमा
“हम अल्लाह ही के हैं और हम उसी की तरफ लौटने वाले हैं। ऐ अल्लाह, मेरे इस सदमे में मुझे सब्र और अज्र दे और इसके बदले में मुझे इससे बेहतर अता फरमा।”
यह दुआ हमें यह एहसास कराती है कि हम अल्लाह के बंदे हैं और वही हमारी हर मुश्किल को आसान कर सकता है।
🌟 Musibat Ke Waqt Ki Dua कब पढ़ें?
यह दुआ हर उस समय पढ़ी जा सकती है जब आप:
- किसी परेशानी या मुसीबत में हों
- अचानक कोई बुरी खबर मिले
- किसी अपने का इंतकाल हो जाए
- आर्थिक या मानसिक तनाव हो
- या फिर जब भी दिल भारी लगे और सब्र की ज़रूरत हो
🔑 Musibat Ke Waqt Ki Dua पढ़ने के फायदे
- दिल को सुकून मिलता है – मुश्किल हालात में यह दुआ पढ़ने से मन शांत होता है।
- सब्र की ताक़त मिलती है – इंसान परेशानियों को सहने की हिम्मत पा जाता है।
- बेहतर इनाम (अज्र) – अल्लाह सब्र करने वालों को दुनिया और आखिरत दोनों में इनाम देता है।
- बेहतर हालात – अल्लाह बुरे वक्त के बदले में अच्छे वक्त और रहमत अता करता है।
FAQs – मुसीबत के वक्त की दुआ से जुड़े सवाल
क्या इस दुआ को सिर्फ बड़े सदमे में ही पढ़ा जा सकता है?
नहीं, यह दुआ हर तरह की परेशानी और मुसीबत में पढ़ी जा सकती है।
क्या इस दुआ का असर तुरंत होता है?
असर अल्लाह की मर्ज़ी से होता है। लेकिन यकीन और सब्र के साथ पढ़ी गई दुआ कभी खाली नहीं जाती।
क्या यह दुआ नमाज़ के बाद पढ़ सकते हैं?
हाँ, आप इसे नमाज़ के बाद भी पढ़ सकते हैं और किसी भी वक्त भी।
क्या इसे याद करना ज़रूरी है?
हाँ, क्योंकि यह छोटी सी दुआ है और ज़रूरत के वक्त तुरंत पढ़ी जा सकती है।
✨ आख़िरी शब्द
दोस्तों, अब आपके दिलो जेहन में मुसीबत के वक़्त की दुआ है जो हिंदी, अरबी और इंग्लिश तीनों में आसानी से पढ़ी जा सकती है। यह दुआ छोटी है लेकिन बेहद असरदार है।
जब भी जिंदगी में कोई मुसीबत आए, तो इस दुआ को पूरे यकीन और सब्र के साथ पढ़ें। इंशाअल्लाह आपके दिल को सुकून मिलेगा और मुश्किलें आसान हो जाएंगी।
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