Qabristan Ki Dua: In Hindi, English And Arabic With Tarjuma

Qabristan Ki Dua: कब्रिस्तान की जियारत हम सब को करना चाहिए और यहां पर अपने अहलो अयाल जितने भी रुखसत पा चुके हैं सब के हक में दुआ ए मग़फिरत जरूर करना चाहिए।

इससे भी पहले कब्रिस्तान में दाखिल होने की दुआ पढ़ना चाहिए इसका अलग ही फजीलत है इसीलिए हमने यहां पर कब्रिस्तान की दुआ को बताया जिसे आप सब जान जाएं।

इसे पढ़ने के बाद आपको कहीं पर भी कब्रिस्तान में दाखिल होने की दुआ नहीं खोजनी पड़ेगी आप भी कोशिश करें कि इसे जेहन में उतार लें ताकि पढ़ने में आसानी हो।

Qabristan Ki Dua

आप भी और हम सब, सब भाषा पढ़ और समझ नहीं सकते इसीलिए यहां पर हमने कब्रिस्तान की दुआ को मोस्ट रीडिंग लैंग्वेज यानी इंग्लिश अरबी और हिंदी में बताया है।

इसे फायदा यह होगा कि अगर आपको हिंदी की पकड़ अच्छी नहीं है तो आप इंग्लिश में पढ़ कर समझ सकते हैं अगर इसमें भी नहीं है तो अरबी में भी इस दुआ को पढ़ सकते हैं।

Qabristan Ki Dua In Hindi

अस्सलामु अलैकुम अहलद दियारि मिनल मुमिनीना वल मुस्लिमीना व इन्ना इंशा अल्लाहु बिकुम ललाहिकूना अस अलुल्लाहा लना व लकुमुल आफियह

Qabristan Ki Dua In English

Assalamu alaikum Alhad-diyari Minal-Muminina Wa’l Musleemina Wa Inna Insha Allahu Bikum Lalaahikuna As’alullaha Lanaa wa Lakumul Aafiyah

Qabristan Ki Dua In Hindi

Qabristan Ki Dua in Arabic

اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ

Qabristan Ki Dua Ka Tarjuma

ऐ मोमिनों तुम पर सलाम हो हम आप के पास जल्द आने वाले है हम अपने लिए और आप के लिए अल्लाह ता’अला से आफ़ियत और खैरियत मांगते है।

कब्रिस्तान की दुआ की फ़ज़िलत

  • इस दुआ को पढ़ने से नामाए अमाल में नेकियां जुड़ती है।
  • जब इस दुआ को पढ़ते हैं तो वहां पर लेटे हुए को सलाम करते हैं।
  • जिसे हमारी मौजूदगी और हाज़िरी बारगाह ए इलाही में कबूल होती है।
  • इस दुआ को पढ़ने से हमारी सलामती और आफियत की दरख्वास्त होती है।
  • इस दुआ की खास फजीलत यह है कि इसे हम अल्लाह से खैरियत मांगते हैं।

सारांश

मेरे प्यारे इस्लामी दोस्तों कैसा लगा आज का यह छोटी सी खैरियत और आफियत से भरी दुआ यानि कि कब्रिस्तान की दुआ जिसकी फजीलत भी आपने बयां की।

इसकी फजीलत बेशुमार हैं आप जब भी कब्रिस्तान में दाखिल हों तो होते हुए एक दफा, दो मरतबा या फिर तीन मरतबा यानी ज्यादा से ज्यादा पढ़ें और खूब सवाब हासिल करें।

ऐसी दुआ को जिन्हें ना मालुम हो उन्हें जरूर बताएं क्योंकि हम सब को इस दुनिया से एक रोज अलविदा लेना है और ऐसे में हमारे पास न जाने कितने लोग आएंगे।